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शादीशुदा जीवन हर इंसान के लिए एक नई शुरुआत होता है। यह रिश्ता केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों और उनके सपनों का भी संगम है। पति-पत्नी के बीच विश्वास, प्रेम, सम्मान और जिम्मेदारियों का संतुलन ही वैवाहिक जीवन को सफल बनाता है। लेकिन जब इस रिश्ते में नशे की आदत जगह बना लेती है, तो धीरे-धीरे यह सुखद संसार टूटने लगता है। शराब, सिगरेट, अफीम, हेरोइन, गांजा या अन्य नशीले पदार्थ शादीशुदा जीवन को अंदर से खोखला कर देते हैं।
नशे की वजह से केवल शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित नहीं होता, बल्कि मानसिक और भावनात्मक जुड़ाव भी कमज़ोर पड़ने लगता है। यही कारण है कि कई रिश्ते टूटने की कगार तक पहुंच जाते हैं।
नशा करने वाला व्यक्ति अक्सर अपने जीवनसाथी की भावनाओं को समझ नहीं पाता। वह छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता है, कई बार हिंसक हो जाता है या परिवार की जिम्मेदारियों को नजरअंदाज करता है। इससे जीवनसाथी के बीच दूरी और अविश्वास पैदा होता है।
वैवाहिक जीवन केवल भावनाओं का मेल नहीं है, बल्कि इसमें शारीरिक और मानसिक सामंजस्य भी शामिल होता है। नशा दोनों पर बुरा असर डालता है।
पति-पत्नी के बीच संवाद का अभाव और अविश्वास पैदा होने लगता है। छोटी बातों पर विवाद और झगड़े सामान्य हो जाते हैं।
परिवार की कमाई का बड़ा हिस्सा नशे पर खर्च होने लगता है। बच्चों की पढ़ाई, घर के खर्च और भविष्य की योजनाएं अधूरी रह जाती हैं।
नशे की हालत में व्यक्ति गुस्सैल और हिंसक हो सकता है। कई परिवार इस कारण असुरक्षित माहौल में जीने को मजबूर हो जाते हैं।
नशा करने वाले पति या पत्नी की वजह से समाज में बदनामी होती है, जिससे परिवार का आत्मविश्वास भी टूटने लगता है।
बच्चे अपने माता-पिता के व्यवहार को देखकर ही सीखते हैं। नशे की वजह से वे मानसिक आघात झेलते हैं और कई बार गलत राह पर चल पड़ते हैं।
नशा केवल व्यवहार नहीं बदलता, बल्कि जीवनसाथी के बीच की नज़दीकियों को भी खत्म कर देता है। एक ओर जीवनसाथी उपेक्षित महसूस करता है, वहीं नशे के आदी व्यक्ति को अपने रिश्ते की अहमियत समझ नहीं आती। धीरे-धीरे दोनों के बीच गहरी खाई बन जाती है।
भारत में कई वैवाहिक रिश्तों के टूटने की वजह नशा ही होती है। जब नशे की लत इतनी बढ़ जाती है कि रिश्ते में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बचती, तो तलाक या अलगाव ही आखिरी रास्ता बन जाता है।
शादीशुदा जीवन को बचाने के लिए सबसे ज़रूरी कदम है नशा छोड़ना। नशे की आदत केवल व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरे परिवार को प्रभावित करती है। इसे छोड़ने से न केवल स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि रिश्तों में भी मिठास लौट आती है।
जीवनसाथी, बच्चे और परिवारजन नशा करने वाले व्यक्ति को सही रास्ते पर लाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उनका सहयोग और धैर्य ही व्यक्ति को पुनर्वास की ओर ले जा सकता है।
नशा छोड़ने के लिए केवल इच्छाशक्ति काफी नहीं होती। इसके लिए पेशेवर मदद और सही उपचार की आवश्यकता होती है। best nasha mukti kendra in Indore के रूप में, हमारी टीम इस दिशा में सतत कार्यरत है। यहां विशेषज्ञ डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक और काउंसलर मिलकर रोगी को नशे से बाहर निकालने का प्रयास करते हैं।