ड्रग्स शरीर के लगभग हर हिस्से को नुकसान पहुँचाते हैं, लेकिन पाचन तंत्र पर इनका प्रभाव सबसे तेज़ दिखाई देता है। कई लोग बताते हैं कि नशे की शुरूआत के कुछ हफ्तों बाद ही कब्ज, पेट दर्द, भारीपन, सूजन, उलझन जैसी दिक्कतें बढ़ने लगती हैं। यही कारण है कि पाचन समस्या से जूझ रहे नशा-पीड़ित व्यक्तियों को अक्सर best nasha mukti kendra in Indore जैसे विकल्पों की तलाश करनी पड़ती है, ताकि उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति को सही दिशा मिल सके।
ड्रग्स सीधे मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र और आंतों की मांसपेशियों पर प्रभाव डालते हैं, जिससे पेट की गति धीमी हो जाती है। धीरे-धीरे ये समस्याएँ बढ़कर गंभीर दर्द, भूख न लगना, कमजोरी और शरीर में विषाक्त पदार्थों के जमाव तक पहुँच जाती हैं। यह सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि एक स्वास्थ्य जोखिम है जिसे समय रहते पहचानना आवश्यक है।
ड्रग्स पेट की कार्यप्रणाली को कैसे प्रभावित करते हैं?
ड्रग्स शरीर के उन तंत्रों को बाधित कर देते हैं जो खाना पचाने, पोषण अवशोषित करने और अपशिष्ट बाहर निकालने में मदद करते हैं। इस कारण पाचन कमजोर होने लगता है और कब्ज सहित कई परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं।
प्रमुख प्रभाव
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आंतों की गति धीमी होना: नशा तंत्रिका तंत्र को सुस्त करता है, जिससे आँतों की लय धीमी पड़ जाती है और कब्ज बढ़ती है।
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निर्जलीकरण: कई नशे शरीर में पानी की कमी पैदा करते हैं, जो कब्ज का मुख्य कारण है।
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भूख में कमी: शरीर पोषक तत्व ठीक से नहीं ले पाता, जिससे पेट कमजोर होता है।
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गैस और सूजन: आँतों की असंतुलित गति के कारण पेट में गैस और भारीपन बनता है।
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आंतों के बैक्टीरिया में बदलाव: नशा “गट माइक्रोबायोम” को बिगाड़ देता है, जिससे पाचन और भी खराब हो जाता है।
कब्ज क्यों बढ़ती है?
कई नशे जैसे ओपिओइड, अफीम आधारित पदार्थ, स्मैक, हैरोइन आदि सीधे आंतों की तंत्रिकाओं को धीमा कर देते हैं। जब आंतें धीमी गति से चलती हैं, तो मल सख्त होने लगता है और बाहर निकलने में कठिनाई होने लगती है।
कुछ स्थितियों में यह कब्ज इतनी बढ़ जाती है कि रोगियों को
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तीव्र पेट दर्द
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उल्टी
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मलद्वार में चोट
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बवासीर
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आँतों में रुकावट
जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ड्रग्स और पेट की समस्या: एक गहरा संबंध
कई लोग सिर्फ कब्ज को सामान्य समस्या समझकर अनदेखा कर देते हैं, पर वास्तविकता यह है कि यह नशे की गहराई का संकेत हो सकता है।
पेट की समस्याएँ जो ड्रग्स से जुड़ी होती हैं
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पेट में ऐंठन और दर्द
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गैस और सूजन
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एसिडिटी और जलन
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भूख कम लगना
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पाचन क्रिया की कमजोरी
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बार-बार उल्टी या मतली
इन समस्याओं का लंबा असर शरीर में कमजोरी, मानसिक बेचैनी और तनाव को बढ़ा देता है, जिससे नशे की प्रवृत्ति और अधिक तीव्र हो सकती है।
लंबे समय तक ड्रग्स लेने से पेट के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खतरे
अगर नशे का सेवन लगातार चलता रहता है, तो पाचन पर इसके परिणाम और गंभीर हो जाते हैं।
1. कुपोषण:
शरीर पोषण अवशोषित नहीं कर पाता, जिससे मांसपेशियाँ और प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।
2. अल्सर बनने का खतरा:
शरीर में बढ़ते एसिड के कारण पेट और आँतों की परत क्षतिग्रस्त होने लगती है।
3. आंतों में संक्रमण:
गट बैक्टीरिया बिगड़ने की वजह से बार-बार पेट संक्रमण हो सकता है।
4. आंतों में अवरोध:
कठोर कब्ज के कारण आँतें बंद होने जैसी गंभीर स्थिति बन सकती है।
ड्रग्स छोड़ने के दौरान भी कब्ज क्यों होती है?
जब व्यक्ति ड्रग्स छोड़ता है, तो शरीर अपनी प्राकृतिक कार्यप्रणाली में वापस आने लगता है। इस परिवर्तन के दौरान कब्ज बढ़ने की संभावना अधिक रहती है।
इसके कारण:
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शरीर की आंतों की गति तुरंत सामान्य नहीं होती
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पानी की कमी बनी रहती है
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तनाव और क्रेविंग digestion को प्रभावित करते हैं
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कमजोरी के कारण पाचन धीमा रहता है
इस दौरान सही चिकित्सा और काउंसलिंग की जरूरत होती है ताकि शरीर सुरक्षित रूप से पुनः संतुलन पा सके।
ड्रग्स से जुड़ी कब्ज और पेट की समस्या में राहत कैसे पाई जा सकती है?
कुछ उपाय पाचन को धीरे-धीरे सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह सुझाव नशा-छोड़ने वाली प्रक्रिया के साथ सहायक माने जाते हैं:
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पर्याप्त पानी पीना
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फाइबर युक्त भोजन लेना
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प्रोटीन, सब्जियाँ और फल बढ़ाना
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नियमित हल्का व्यायाम
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धूम्रपान व शराब से दूरी
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डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं का सेवन
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तनाव कम करने वाले अभ्यास
लेकिन यदि समस्या लंबे समय से बनी है या नशे के कारण गंभीर स्थिति पैदा हुई है, तो विशेषज्ञ इलाज आवश्यक है।
नशा छोड़ने का निर्णय और पेट का स्वास्थ्य
पेट की समस्या अक्सर वह पहला संकेत होती है जो व्यक्ति को सोचने पर मजबूर करती है कि ड्रग्स से छुटकारा पाना जरूरी है। पाचन तंत्र शरीर का केंद्र है और इसका बिगड़ना जीवन की गुणवत्ता को गहराई से प्रभावित करता है।
ड्रग्स छोड़ने के बाद धीरे-धीरे—
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आंतों की गति सुधारने लगती है
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भूख वापस आने लगती है
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शरीर पोषक तत्व अवशोषित करना शुरू कर देता है
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ऊर्जा बढ़ती है
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मानसिक संतुलन बेहतर होता है
यह सुधार तभी संभव है जब व्यक्ति सही उपचार, वातावरण और चिकित्सकीय समर्थन ले।
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